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तप रहा हूँ भट्टी में,मन में एक आग लिए, ये लौ क्या

तप रहा हूँ भट्टी में,मन में एक आग लिए,
ये लौ क्या जलांएगी मुझे,मैं चल रहा हूँ मुट्ठी में अपनी राख़ लिए।

©Harshit Arya 
  #Harshitarya
#Mic
तप रहा हूँ भट्टी में,मन में एक आग लिए,
ये लौ क्या जलांएगी मुझे,मैं चल रहा हूँ मुट्ठी में अपनी राख़ लिए।

©Harshit Arya 
  #Harshitarya
#Mic