ओ क्षितिज ! तुम पर्याय हो व्यापकता के ; सौंदर्य की पूर्णता के ! अवनी अंबर दोनो तुम्हारे हिस्से में हैं; लिखा जीवन तुम्हारे हर किस्से में है। कल्पना का जीवंत समन्वय, प्रकृति का एकांत वलय। याद रखना सदा सब समाहित है तुम में ; तुम सब में समाहित हो ।। ~©Anjali Rai— % & Dedicating a #testimonial to Kumar Kshitij ओ क्षितिज ! तुम पर्याय हो व्यापकता के ; सौंदर्य की पूर्णता के ! अवनी अंबर दोनो तुम्हारे हिस्से में हैं;