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ओ क्षितिज ! तुम पर्याय हो व्यापकता के ; सौंदर्य की

ओ क्षितिज !
तुम पर्याय हो व्यापकता के ;
सौंदर्य की पूर्णता के !

अवनी अंबर दोनो
तुम्हारे हिस्से में हैं;
लिखा जीवन तुम्हारे
हर किस्से में है।

कल्पना का जीवंत समन्वय,
प्रकृति का एकांत वलय।
याद रखना सदा
सब समाहित है तुम में ;
तुम सब में समाहित हो ।।
~©Anjali Rai— % & Dedicating a #testimonial to Kumar Kshitij

ओ क्षितिज !
तुम पर्याय हो व्यापकता के ;
सौंदर्य की पूर्णता के !

अवनी अंबर दोनो
तुम्हारे हिस्से में हैं;
ओ क्षितिज !
तुम पर्याय हो व्यापकता के ;
सौंदर्य की पूर्णता के !

अवनी अंबर दोनो
तुम्हारे हिस्से में हैं;
लिखा जीवन तुम्हारे
हर किस्से में है।

कल्पना का जीवंत समन्वय,
प्रकृति का एकांत वलय।
याद रखना सदा
सब समाहित है तुम में ;
तुम सब में समाहित हो ।।
~©Anjali Rai— % & Dedicating a #testimonial to Kumar Kshitij

ओ क्षितिज !
तुम पर्याय हो व्यापकता के ;
सौंदर्य की पूर्णता के !

अवनी अंबर दोनो
तुम्हारे हिस्से में हैं;

Dedicating a #testimonial to Kumar Kshitij ओ क्षितिज ! तुम पर्याय हो व्यापकता के ; सौंदर्य की पूर्णता के ! अवनी अंबर दोनो तुम्हारे हिस्से में हैं;