किन शब्दों में बाँधू ढाँढ़स कैसे आश दिलाऊँ हरियाले आँचल वाली वो ठाम कहाँ से लाऊँ कैसे दुबकाऊँ मन तुमको श्वाँस शून्य छाती में कह देती मत जाओ निश्चिय ही रुक जाती मैं इन ठहरी आँखों में साहस प्राण कहाँ से लाऊँ कितना कुछ कहना है माँ! वो मान कहाँ से पाऊँ किससे पूछूँ दिवस क्यों कुहा कोह, कुपित कौन है सूर्य मौन! हवा बतलाती नहीं दोषी कौन है रख गई थी आश दीप प्रार्थनामय हृदय! स्पंदनों की दीप्ति बुझाता वो प्रार्थित कौन है #toyou#yqrestlessness#mummy whereareyou#blindsun#desertedfaith#missyou