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वक़्त बहत अटपटा चल रहा है थाम हाथ आज यहीं ठहरना च

वक़्त बहत अटपटा चल रहा है 
थाम हाथ आज यहीं 
ठहरना चाहता हूँ
सर्द की रात आ रही 
तुम आ कर ओढ़ लो 
बांहों में मुझे
मैं तुम्हें गले लगा सोना चाहता हूँ ।
ये कहानी ये 
ग़जल ये नज्म़ ये 
शायरियां मेरी
छू कर लबों से पढ़ लो ज़रा 
मैं बेशक ग़ालिब नहीं 
बस तुम्हारा 
कामिल होना चाहता हूँ । Dedicating a #testimonial to 𝘼𝙡𝙮𝙨𝙝𝙖 𝙎𝙞𝙧𝙢𝙤𝙪𝙧✯
वक़्त बहत अटपटा चल रहा है 
थाम हाथ आज यहीं 
ठहरना चाहता हूँ
सर्द की रात आ रही 
तुम आ कर ओढ़ लो 
बांहों में मुझे
मैं तुम्हें गले लगा सोना चाहता हूँ ।
वक़्त बहत अटपटा चल रहा है 
थाम हाथ आज यहीं 
ठहरना चाहता हूँ
सर्द की रात आ रही 
तुम आ कर ओढ़ लो 
बांहों में मुझे
मैं तुम्हें गले लगा सोना चाहता हूँ ।
ये कहानी ये 
ग़जल ये नज्म़ ये 
शायरियां मेरी
छू कर लबों से पढ़ लो ज़रा 
मैं बेशक ग़ालिब नहीं 
बस तुम्हारा 
कामिल होना चाहता हूँ । Dedicating a #testimonial to 𝘼𝙡𝙮𝙨𝙝𝙖 𝙎𝙞𝙧𝙢𝙤𝙪𝙧✯
वक़्त बहत अटपटा चल रहा है 
थाम हाथ आज यहीं 
ठहरना चाहता हूँ
सर्द की रात आ रही 
तुम आ कर ओढ़ लो 
बांहों में मुझे
मैं तुम्हें गले लगा सोना चाहता हूँ ।
kunalkarn5063

Author kunal

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