वक़्त बहत अटपटा चल रहा है थाम हाथ आज यहीं ठहरना चाहता हूँ सर्द की रात आ रही तुम आ कर ओढ़ लो बांहों में मुझे मैं तुम्हें गले लगा सोना चाहता हूँ । ये कहानी ये ग़जल ये नज्म़ ये शायरियां मेरी छू कर लबों से पढ़ लो ज़रा मैं बेशक ग़ालिब नहीं बस तुम्हारा कामिल होना चाहता हूँ । Dedicating a #testimonial to 𝘼𝙡𝙮𝙨𝙝𝙖 𝙎𝙞𝙧𝙢𝙤𝙪𝙧✯ वक़्त बहत अटपटा चल रहा है थाम हाथ आज यहीं ठहरना चाहता हूँ सर्द की रात आ रही तुम आ कर ओढ़ लो बांहों में मुझे मैं तुम्हें गले लगा सोना चाहता हूँ ।