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अंदर बिखरा है बाहर मुस्कुरा रहा हैं, पिता है साहब

अंदर बिखरा है बाहर मुस्कुरा रहा हैं,
पिता है साहब फ़र्ज़ निभा रहा है,
घर चला रहा है खर्चा उठा रहा है,
अंदर टूट रहा है साहब हमें बना रहा है,
बाप है साहब फ़र्ज़ निभा रहा हैं।

©Surendra Bhagat #समाज_की_हकीकत 

#samandar
अंदर बिखरा है बाहर मुस्कुरा रहा हैं,
पिता है साहब फ़र्ज़ निभा रहा है,
घर चला रहा है खर्चा उठा रहा है,
अंदर टूट रहा है साहब हमें बना रहा है,
बाप है साहब फ़र्ज़ निभा रहा हैं।

©Surendra Bhagat #समाज_की_हकीकत 

#samandar