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आग्रह की वाणी, ​अवसादित हो गयी, ​जब विखंडन रचित कि

आग्रह की वाणी,
​अवसादित हो गयी,
​जब विखंडन रचित किया गया,
​उसके हृदय का,
और..उसके जीवन के,
​​प्रत्यय की आत्मियता,
​उपसर्ग की पगड़ियों मे लिपट,
​मर्यादा के बंधेज मे,
​बँधकर रह गयी,
​कि..जैसे,
​आँखों से बहता नमक,
​हृदय के घावों पर उसके,
​अपना वियोग मलता है,— % & #पूर्ण_रचना_अनुशीर्षक_मे 

#अग्निशिखा

​आग्रह की वाणी,
​अवसादित हो गयी,
​जब विखंडन रचित किया गया,
​उसके हृदय का,
आग्रह की वाणी,
​अवसादित हो गयी,
​जब विखंडन रचित किया गया,
​उसके हृदय का,
और..उसके जीवन के,
​​प्रत्यय की आत्मियता,
​उपसर्ग की पगड़ियों मे लिपट,
​मर्यादा के बंधेज मे,
​बँधकर रह गयी,
​कि..जैसे,
​आँखों से बहता नमक,
​हृदय के घावों पर उसके,
​अपना वियोग मलता है,— % & #पूर्ण_रचना_अनुशीर्षक_मे 

#अग्निशिखा

​आग्रह की वाणी,
​अवसादित हो गयी,
​जब विखंडन रचित किया गया,
​उसके हृदय का,
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