ये बात हैं उस समय की जब मैं बैठा था मायूस सा ओर वो ठंडी थी रात, कुछ देर सोचा की क्या करू, क्या करू , फिर लगा कि क्यों ना करता हूं मैं अपनी उम्मीदों से बात, थोड़ा सहमा सा था की क्या कहूंगा , पर इन सब को भूल कर बटोरे सारे जज्बात फिर उठाया फोन ओर सुरू हुई बात मैने तो सोच था की होंगी मेरी कमजोरी, बेबसी, विफलताओं पर बात पर मुझे थोड़ी पता था कि यहां कि बात अलग है वहा के तो दिन-रात अलग हैं ओर कुछ अनोखे से होते हलात, क्योंकि हो रहीं हैं मेरी उम्मीदों से बात वो बात तो कुछ मिनटों की थी पर उसमें मैंने जाना की क्या है मेरी कीमत ओर क्या है मेरी ओकात, जहां मै सोच के गया थीं नहीं दिखेंगी भरोसे की कोई किरण, वाहा मुझे जगमगाते दिखे कई सूरज एक साथ, एक दिन मैंने फोन पर की अपनी उम्मीदों से बात सुकून तो मिला ओर साथ मै मिली मेरी कीमत ओर ख़त्म हुई वो रात। ©MiTheAnonymous उम्मीदों से बात #Hope in #Hopeless