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प्रेम में समर्पण तो चाहिए होता है पर उस समर्पण के

प्रेम में समर्पण तो चाहिए होता है पर 
उस समर्पण के उपरांत यदि एक-दूजे के
 आत्मसम्मान को ताक पर रख दिया जाए तो
 वो प्रेम दूषित हो जाता है क्योंकि प्रेम बराबरी का अधिकार देता है, जितना आवश्यक रक्त का देह में होना है 
उतना ही आवश्यक
 उस रक्त का धमनियों के माध्यम से विचरण करना भी ❤️

©Jitendra VIJAYSHRI Pandey "JEET "
  #retro #जीतकीनादानकलमसे  अं_से_अंशुमान   कवि राहुल पाल 🔵   Neelam jangir✳️ Madhubala Jain Rathod Dr SONI