दिल धड़कता है मेरा बस तुम्हारे ही नाम से, तो कैसे कह दूंँ कि मैं मुझे तुमसे प्यार नहीं। सांँसों की माला पर जपती हूँ हर पल नाम तेरा, तो कैसे कह दूंँ कि मैं मुझे तुम्हारा ख्याल नहीं। हर पल तेरे ही तसव्वुर में खोया रहता है दिल, तो कैसे कह दूंँ कि मैं तुझे देखने की चाहत नहीं। हर पल आंँखें तरसती है बस तुझ ही देखने को, तो कैसे कह दूंँ मैं की मुझे तेरी कोई प्यास नहीं। विश्वास है मुझे तुझपर अपने खुदा से भी ज्यादा, तो कैसे कह दूंँ कि मैं मुझे तेरी कोई आस नहीं। ♥️ Challenge-587 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।