अन्नदाता ही गर अन्न उगाने से मूँह मोड़ ले क्या होगा एक निवाले के ख़ातिर जो तरसता छोड़ दे कभी सोचा है कि हम जी रहे हैं उनके रहमोकरम पर हमसे नहीं उग सकता एक तिनका भी सोच ले #kisaan #अन्नदाता #नोजोतोहिन्दी