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धरती रहने योग्य बनाती, दो हांथों से संसार चलाती। प

धरती रहने योग्य बनाती,
दो हांथों से संसार चलाती।
पुरुष-प्रकृति का वास है,
कोमलता का एहसास है।
संतानों को योग्य बना दे,
ये वर्षो का उपवास है।।
आँचल के भीतर शीतलता है,
हृदय में इसकी निर्मलता है।
दुनिया कहती इसको अ-बला,
समझो इसको मात्र जुमला।
महिला सबला नारी है,
सौ पुरुषों पर भारी है।
 #माँ के लिए काव्य, रचना #माँ के लिए 
#माँ_का_प्यार जिसके आगे दुनिया है बेकार
मातृत्व को कुछ पंक्तियों को उतारने का दुस्साहस कर रहा हूँ, क्योंकि #ममता को चंद पंक्तियों या एक किताब में परिभाषित नही किया जा सकता।
मेरा दिल रहता है गांव में #ममताकीछाँव  में
#collabwithme #yqdidi #feminism
धरती रहने योग्य बनाती,
दो हांथों से संसार चलाती।
पुरुष-प्रकृति का वास है,
कोमलता का एहसास है।
संतानों को योग्य बना दे,
ये वर्षो का उपवास है।।
आँचल के भीतर शीतलता है,
हृदय में इसकी निर्मलता है।
दुनिया कहती इसको अ-बला,
समझो इसको मात्र जुमला।
महिला सबला नारी है,
सौ पुरुषों पर भारी है।
 #माँ के लिए काव्य, रचना #माँ के लिए 
#माँ_का_प्यार जिसके आगे दुनिया है बेकार
मातृत्व को कुछ पंक्तियों को उतारने का दुस्साहस कर रहा हूँ, क्योंकि #ममता को चंद पंक्तियों या एक किताब में परिभाषित नही किया जा सकता।
मेरा दिल रहता है गांव में #ममताकीछाँव  में
#collabwithme #yqdidi #feminism

#माँ के लिए काव्य, रचना #माँ के लिए #माँ_का_प्यार जिसके आगे दुनिया है बेकार मातृत्व को कुछ पंक्तियों को उतारने का दुस्साहस कर रहा हूँ, क्योंकि #ममता को चंद पंक्तियों या एक किताब में परिभाषित नही किया जा सकता। मेरा दिल रहता है गांव में #ममताकीछाँव में #collabwithme #yqdidi #Feminism