पैदा होते ही जवानी में पैर रखा है.... उम्र से बढ़कर कंधे पे बोझ रखा है.... हज़ारों सपने...लाखों ख्वाहिशें....दिल में तो बहुत होगा...पर उसने कभी बताया नहीं.... उसके लिए बचपन कभी आया नहीं..... देखो ना ऊपरवाला भी क्या भेदभाव कर रहा है.... किसी को एक बार कहने पे है सब मिलता...और कोई अपने मालिक से मजदूरी के लिए लड़ रहा है.... देख उसे रहम तो सबको आता है..पर किसी ने उसे अपनाया नहीं.... उसके लिए बचपन कभी आया नहीं..... जाने वो कैसे खुद पे काबू करता है.... छोटी सी उम्र में पत्थर का दिल रखता है.... सोचता है...वो भी सब जैसा होता...पर उसके सर मां बाप का साया नहीं.... उसके लिए बचपन कभी आया नहीं.. #childlabour #childlabourday #endchildlabour #worlddayagainstchildlabour #poem