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बिखर कर चाँदनी-सा झिलमिलाना है मुझे, हाँ अब तो सफल

बिखर कर चाँदनी-सा झिलमिलाना है मुझे,
हाँ अब तो सफलता के नभ पर छाना है मुझे।
मेरी तकलीफ़ कितनी ही बड़ी है ये भूलकर,
हाँ अब तो किसी बच्चे-सा खिलखिलाना है मुझे।
ज़माने से शिकायतों का बोझ बड़ा भारी हुआ है,
हाँ अब तो किसी भी सूरत इसे गिराना है मुझे।
रूढ़ियों की कैद, रिवाजों के कफ़स बहुत लंबे हैं,
हाँ अब इक पहल से इन्हें बौना बनाना है मुझे।
पाँव तो रखने हैं ज़मीन पर लेकिन उड़ना भी है,
हाँ अब तो कलम को ही पंख बनाना है मुझे।
अपने भीतर ही कैद हूँ मैं कहीं किसी कोने में,
हाँ अब तो खुद ही खुद को ढूँढ लाना है मुझे।
बहुत खोजा फिर पाया खुद में ही इक ज़माना है,
हाँ अब तो इस ज़माने से खुद को मिलाना है मुझे।
बस इसी इक बात से खुशियों का दीदार मुमकिन,
हाँ अब तो रुकना नहीं, बस चलते ही जाना है मुझे। 

मीना सिंह "मीना" स्वरचित, नई दिल्ली

©Meena Singh Meen #हाँअबतोमुझे#meenwrites#एहसासऔरमैं

#Happiness  Neelam Mittal Anika Bhardwaj Udass Afzal khan ❣️Dard ki jaan King of Darkness Storyteller NIKHAT
बिखर कर चाँदनी-सा झिलमिलाना है मुझे,
हाँ अब तो सफलता के नभ पर छाना है मुझे।
मेरी तकलीफ़ कितनी ही बड़ी है ये भूलकर,
हाँ अब तो किसी बच्चे-सा खिलखिलाना है मुझे।
ज़माने से शिकायतों का बोझ बड़ा भारी हुआ है,
हाँ अब तो किसी भी सूरत इसे गिराना है मुझे।
रूढ़ियों की कैद, रिवाजों के कफ़स बहुत लंबे हैं,
हाँ अब इक पहल से इन्हें बौना बनाना है मुझे।
पाँव तो रखने हैं ज़मीन पर लेकिन उड़ना भी है,
हाँ अब तो कलम को ही पंख बनाना है मुझे।
अपने भीतर ही कैद हूँ मैं कहीं किसी कोने में,
हाँ अब तो खुद ही खुद को ढूँढ लाना है मुझे।
बहुत खोजा फिर पाया खुद में ही इक ज़माना है,
हाँ अब तो इस ज़माने से खुद को मिलाना है मुझे।
बस इसी इक बात से खुशियों का दीदार मुमकिन,
हाँ अब तो रुकना नहीं, बस चलते ही जाना है मुझे। 

मीना सिंह "मीना" स्वरचित, नई दिल्ली

©Meena Singh Meen #हाँअबतोमुझे#meenwrites#एहसासऔरमैं

#Happiness  Neelam Mittal Anika Bhardwaj Udass Afzal khan ❣️Dard ki jaan King of Darkness Storyteller NIKHAT