शुरुआत में तो सब अपनेपन से ही मिलते हैं।आपके पास बार बार ख़ुद चलकर आएंगे आपसे अपनापन जताएंगे।आपसे बात करना चाहेंगे।अपना नम्बर ख़ुद देंगे।
और एक वक़्त आता है जब आप उनसे एक अपनेपन का रिश्ता उम्र भर के लिये जोड़ लेते हैं। फ़र्क पड़ने लगता है आप पर उनकी अच्छी बुरी बातों का ,उनके सुख से उनके दुःख से।इसकदर जुड़ जाते हैं आप के आपको आदत पड़ जाती है उनकी।
तो उनका मन बदल जाता है।फोन करो तो बात ऐसे करेंगे मानो एहसान कर रहे हों।मेसेज करो फिक्र करो तो ऐसे इग्नोर करेंगे मानो पहचानते ही नहीं।
सबसे बड़ी बात वो आपसे ऐसे समय पर आपसे पल्ला झाड़ेंगे जब आपको उनकी बातों की उनके सपोर्ट की जरूरत हर दिनों से कहीं ज्यादा सबसे ज्यादा होगी।
आप टूटते रहिये बिखरते रहिये उनकी बला से।उनको फुर्सत ही नही अब।या यूं कहिये उनमे अब इंसानियत भी नही।
अरे मुसीबत या दुःख में तो दुश्मन भी साथ दे देते हैं एक पल को।पर ऐसे लोगों को क्या ही कहा जाए समझ नही आता।
"Writer Unknown" #Love