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कहते जीवन मे पानी हैं। चारों तरफ़ मनमानी है। लोग यं

कहते जीवन मे पानी हैं।
चारों तरफ़ मनमानी है।
लोग यंहा के गंदे हैं ।
उनके काले धंदे है
कुछ लोग यंहा पे आते है
फिर आके चलें जाते है।
कोई हँसता है कोई रोता है ।
फिर वो चुप हों जाता है।
यही जीवन की गाथा है वास्तविकता जीवन की
कहते जीवन मे पानी हैं।
चारों तरफ़ मनमानी है।
लोग यंहा के गंदे हैं ।
उनके काले धंदे है
कुछ लोग यंहा पे आते है
फिर आके चलें जाते है।
कोई हँसता है कोई रोता है ।
फिर वो चुप हों जाता है।
यही जीवन की गाथा है वास्तविकता जीवन की

वास्तविकता जीवन की