माधव की मैं प्रेम दीवानी हुई दुनिया में बदनाम केशव ने जो थाम लिया तो भय का क्या काम गिरधर ने मेरे हर गम को अमृत बना दिया मोहन की बांसुरी की धुन ने मरहम लगा दिया गोपाल के चितवन से पराजित हुआ है चित्त वसुदेव की मुस्कान पर विश्व हुआ मदमस्त नमस्कार मित्रों 🙏 (शुरू करो चौथा पड़ाव लेकर प्रभु का नाम) काव्य संग्रह प्रस्तुत करता है "मेरी व्याकरण यात्रा" *चौथा पड़ाव* इस पड़ाव के नियम इस प्रकार हैं👇