चरित्र कोरे से कागज पर मटमैला सा अंदाज ओढ के रखे हो जो तुम वो छुपा हुआ जज्बात चालाकी दिखाता दरारो से झाकता वो सुनहरा सा ख्वाब झूठ की साजिशो से बुना अधखुला सा सच है कठपुतलियो सा नचता प्रपंच है मेरे अंधेरे से मन में तवाही मचाता मैं किस किस का नाकाब हटाऊ हर कोई यहाँ लबादा ओढ के आता चरित्र की बात न ही करो तो अच्छा होगा कोई कुछ भी कहे लाल सफेद नीली हरी स्याही मुझपर ही उछाली जाएगी वो अलग बात है दफ्नाने के बाद सिसकी ओढी जाएगी सितम ए तारीख मखमल ए गुलिस्ता होगा जाने कब वो ख्यालो से पाक हिन्दुस्ता होगा जो जिंदा है उन्हे देखा नही किसी ने झाँककर क्या हादसा हुआ है और जो शिकार हुई उनके लिए न्याय मागते है बचपन जला दिए है घर में ही और गैरो से इज्जत चाहते है कुछ तालीम अपने ही घर में दे देना अखबारों में गुस्सा निकलने वालो शायद गैर बेटी की हिफाजत करते करते खुदा तुम्हारे घर नूर दे वो अलग बात है धधकती आग बुझ जाती है चिरागो के सामने लेकिन चिंगारी के वजूद को खगालने की गुस्ताकी न करना जो मर जाऊ कभी मैं लड़ते लड़ते तो मेरी राख को न्याय दिलाने की भूल न करना मैं फिर आऊगी अबके सरस्वती बनके मुझे दुरगा और काली से न तोलना मैं इस रंगीन दुनिया का श्वेत ख्याल हूँ किन्ही चंद बिगड़े हुए नवाबो की उठती आवाज हूँ देव तुल्य मानव को तुम इस कसोटी से दूर रखना अबके चरित्र को तुम मेरे नजर से झाँकना नाम पेसा और बातो से नही लोगो को निगाहों से नापना कहीं तुम्हारे पेनी नजर किसी ज्जबाती को न हरा दे तुम अपने हुनर से रूबरू होकर ही आइने को ताकना #NojotoQuote