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तुझे श्रृंगार की क्या जरूरत तेरा श्रृंगार तो रब ने

तुझे श्रृंगार की क्या जरूरत
तेरा श्रृंगार तो रब ने बनाया है

लाखों परियों का नूर चुराकर
तेरा ये जिस्म  बनाया  है 

तुझ पर सजने को तरसते गहनें
और परिधान,सबको मिलती

तेरे जिस्म से, खूबसूरती की एक
पहचान,तुझे श्रृंगार की क्या जरूरत

तेरे जिस्म की महक पाकर, फूलों
को खुशबू मिलती है

तेरे चेहरे की चमक पाकर, सूरज
की किरणे खिलती है ,

हो जाती है मायूसी दूर ,जब जब तू
 तू, निकलती है

तेरे आने से जीवन की सारी ,खुशियों
की गलियां खिलती है,

तुझे श्रृंगार की क्या जरूरत....

©पथिक..
  prem ras amrit #

prem ras amrit # #लव

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