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पल्लव की डायरी बस नही किसी पर अपना मार सबकी सहते ह

पल्लव की डायरी
बस नही किसी पर अपना
मार सबकी सहते है
शीत गर्मी बरसात हो
झुलसे झुलसे रहते है
तबियत अपनी मौसमो के पास है
सब से बचने के लिये
बचाव करते रहते है
ये जिंदगी मर्ज है
खुश रहने के लिये 
जाने कितने जख्मो को कुरेदते रहते है
                                              प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"
  #sadak तबियत अपनी मौसमो के पास है
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