मुझसे मेरा ना हाल पूछते है, इक लोग है कि मकान पूछते है, तरफदारी ही काफ़ी नही है, जो लोग कुछ हुक्मरान पूछते है, रिश्ते भी अब प्यार पर नहीं टीके है, लोग सबसे पहले जात पूछते है, पैसे से हर गम मिटता है इनका, फिर भी लोग कुछ संस्कार पूछते है, मैंने ख़्वाब अपने अब छोड़ दिए, लोग है कि हर बात पर दाम पूछते है। मुझसे मेरा ना हाल पूछते है, इक लोग है कि मकान पूछते है, तरफदारी ही काफ़ी नही है, जो लोग कुछ हुक्मरान पूछते है, रिश्ते भी अब प्यार पर नहीं टीके है,