गुस्ताख़ी ज़िन्दगी ने की,सितम हमको मिले, ये तो वही बात हो गई ना जनाब हमने किसी को टूट कर चाहा वो मेहबूब किसी और के निकले। झूठ बोलकर रिश्ते तुमने जोड़े और वफाओं की अपेक्षाएं हमसे की, हमसे बोलते हो कि काश रोक लेते हमें तो हम तुमको छोड़कर कहीं नहीं जाते, और हम बोलते है ऐसे हर गली मोहल्लों में अपना दिल हार जाने वाले साथी, कभी साथ नहीं निभाते हैं। #अधूरा_साथ #अधूरा_आंकलन