अतीत की सुरंग से निकल नहीं सका मैं आज तक," अतीत की सुरंग से" डूबा हूं उसी झील में, काजल की बंधी डोर से.. गेसुओं के रूप जाल से, लावण्य की सुगंध से , खोजने भटक रहा हूं, हार मोतियों के... उषा की लालिमा के स्वप्न भरे भोर से , छीन गया कोई दिन, मेरी यादों के आनंद से ... निकल नहीं सका मैं आज तक ,"अतीत की सुरंग से".. अतीत की सुरंग से