घर से दूर होकर चंद रुपयों की खातिर हम दर दर की ठोकर खाते है खुद को रख के दाव पर हम रूपय कमाते हैं कितना दूर तक जाते हैं पहले जाने में फिर लौट आने में वक़्त गवाते हैं देखा जाये तो हम महल की मेहनत करते हैं और सड़कों पे ही गुजर जाते हैं। देखा जाए तो... #देखाजाए #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi #ravikirtikikalamse #ravikirti_poetry #mehnat #kamayakyagawayakya