आज़ाद आदमी के अंदर कुछ सोचने, फैसला करने और अपने फैसले पर अमल करने की दिलेरी होती है. गुलाम आदमी यह दिलेरी खो चुका होता है. वह हमेशा दूसरे के विचारों को अपनाता है, घिसे-पिटे रास्तों पर चलता है. इस सबक को मैंने अपनी ज़िंदगी का हिस्सा बना लिया था. अपने जीवन में जब भी मैं कोई कठिन निर्णय ले पाया, मैं बहुत खुश हुआ. मैं खुद को आज़ाद महसूस करता, मुझे जीवन सार्थक लगा और मैं जीवन का लुत्फ शायद इसीलिए उठा पाया क्योंकि मैंने समझा की जीवन का कुछ अर्थ है.,##एकइंसान