प्रतिध्वनि सुनाई देती है, कर्मों के फल की,वाणी के वचनों की, मन के संकल्पों की,अपने भ्रम और विकल्पों की प्रतिध्वनि सुनाई देती है। जो बोया है वही सबने पाया है,यही रामजी की माया है। जैसे कर्म करोगे , वैसा फल मिलता है, वाणी की कोमलता जितना ही वचन तू सुनता है। स्थिर मन से ही सबने दृढ़ संकल्प को पाया है, भ्रम और विकल्पों से जीवन सदैव भरमाया है। परम गुरु की कृपा से शाशवत सत्य की झलक दिखाई देती है, श्रद्देय पर 'नेह' से परम प्रेम की प्रतिध्वनि सुनाई देती है। प्रतिध्वनि # #