White एक कविता जो मैंने लिखी नहीं है अब तक उस कविता के शब्द हो तुम जैसे मुझे यकीं है अपने ना मिले हुए शब्दों से वैसे ही मुझे यकीं है तुम्हारे ना होने के वहम से जैसे मुझे खिले हुए फूल से अच्छा लगता है उनका मुरझा के झड़ जाना क्योंकि उनका वज़ूद झड़ने के बाद भी ज़िन्दा रहता है इन फूलों की तरह मैं भी तुमको अपने वज़ूद में रखना चाहता हूँ ऐसे जैसे माँ अपने रखती है अपने बच्चे को अपने रूह से,अपने आत्मा से तुम मेरा वज़ूद भी हो,मेरा वहम भी हो मैं तुम हूँ और तुम मैं हो। ©Sandeep Sagar #flowers वज़ूद sagar ki diary se 📖🖋❤️