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चाँद को इतना तो मालूम है तू प्यासी है, तू भी अब उस

चाँद को इतना तो मालूम है तू प्यासी है,
तू भी अब उस के निकलने का इंतजार ना कर ,
भूख गर जब्त से बाहर है तो कैसा रोज़ा ?
इन गवाहों की ज़रूरत पे मुझे प्यार ना कर Chand Ko pata hai .
चाँद को इतना तो मालूम है तू प्यासी है,
तू भी अब उस के निकलने का इंतजार ना कर ,
भूख गर जब्त से बाहर है तो कैसा रोज़ा ?
इन गवाहों की ज़रूरत पे मुझे प्यार ना कर Chand Ko pata hai .

Chand Ko pata hai .