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विदाई की बेला (बेटी के भाव) (पिता से) पिया मिलन की

विदाई की बेला (बेटी के भाव)
(पिता से)
पिया मिलन की स्वपन जगे, दिल में सजरे अरमानों के गीत सजे,
फिर भी ना जाने क्यों, दिल में बाबुल तुझसे विदाई का दर्द उठे,
आगन्तुक अपनी चिड़िया को , बाबुल क्यों आज उड़ाने लगा,
धन्य बाबुल जिगर तेरा, जिगर के टुकड़े का कन्यादान करने लगा।
(माँ से)
तेरे आंचल की छांव में पाया अंगणित संसकारों का भंडार,
वाणी में दी मिठास और सहनशीलता का दिया अलंकार,
आज विदाई‌ के पलों में वो आंचल मुझ से छूट रहा,
दिल में क्यों टीस उठी,दिल अंदर ही अंदर टूट रहा,
(भाई से)
दुल्हन बनी देख मुझे भैया मेरे, क्यों आंख नम तेरी होने लगी,
कठोर नारियल समान  हृदय क्यों आंसुओं द्रवित होने लगा।
दस्तूर दुनिया का देखों,पली-बड़ी जो साथ तेरे आज जुदा होने लगी,
जाने क्यों,जिगर के टुकड़े का कर कन्यादान क्यों तीरथ होने लगा। #प्रतियोगिता_1
#good
#participate
#writer
#विदाई
#बिटिया
#collabwithmitali 
#new_at_mitali
विदाई की बेला (बेटी के भाव)
(पिता से)
पिया मिलन की स्वपन जगे, दिल में सजरे अरमानों के गीत सजे,
फिर भी ना जाने क्यों, दिल में बाबुल तुझसे विदाई का दर्द उठे,
आगन्तुक अपनी चिड़िया को , बाबुल क्यों आज उड़ाने लगा,
धन्य बाबुल जिगर तेरा, जिगर के टुकड़े का कन्यादान करने लगा।
(माँ से)
तेरे आंचल की छांव में पाया अंगणित संसकारों का भंडार,
वाणी में दी मिठास और सहनशीलता का दिया अलंकार,
आज विदाई‌ के पलों में वो आंचल मुझ से छूट रहा,
दिल में क्यों टीस उठी,दिल अंदर ही अंदर टूट रहा,
(भाई से)
दुल्हन बनी देख मुझे भैया मेरे, क्यों आंख नम तेरी होने लगी,
कठोर नारियल समान  हृदय क्यों आंसुओं द्रवित होने लगा।
दस्तूर दुनिया का देखों,पली-बड़ी जो साथ तेरे आज जुदा होने लगी,
जाने क्यों,जिगर के टुकड़े का कर कन्यादान क्यों तीरथ होने लगा। #प्रतियोगिता_1
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#बिटिया
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#new_at_mitali
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