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ग़म है,किसका? इलाज़ ढूंढते हो? कभी अंदर झांक के देख

ग़म है,किसका? 
इलाज़ ढूंढते हो?
कभी अंदर झांक के देखो
वहीं है,ग़म भी इलाज़ भी
उतने ही पास ,साथ-साथ 
जैसे रहता है कोई साया तुम्हारे साथ
कौन ज़िम्मेदार है तुम्हारी इस तन्हाई का?
कोई नहीं ,ये वहीं रहती है 
ग़म और इलाज़ के साथ।
चलो ढूंढते है इन सब का पता।
चुपचाप!
एकसाथ!

©Satyam Tiwari
  #चुपचाप