छुट्टन काका बड़े अनोखे करते सब काम राम भरोसे मुँह में दो-दो पान लपेटे चलाते स्कूटर बिन हेलमेट के.. हॉर्न बजाते टर टर टर टर सब्जियां लाते थैला भर भर शाम को जब भी आते घर सिर पकड़ते थक हारकर चाय की चुस्की फिर जब हैं लेते सब बच्चों को ज्ञान हैं देते.. कहते ये दुनिया है राम भरोसे चल रहे सब काम दाम भरोसे महँगाई ने उड़ा दिए सबके तोते सड़कें चल रही हैं गड्ढ़े ढ़ोके मर रहे हैं किसान रो-रो के काश! गाँधी जी जिन्दा होते!! हैं बातों में अक्सर खो जाते खुद से ही फिर बतियाते और मेज पर रखे सारे समोसे उड़ा ले जाते सब नाती-पोते.. छुट्टन काका बड़े अनोखे!! ©KaushalAlmora #छुट्टनकाका #fun #life #kidspoem #बालकविता #poetry #shayari #yqdidi