बरसने से पाप धुलती नहीं। गरजने से हकीकत बदलती नहीं। हया भी थोड़ी होती तो जुबां खुलती नहीं। मगर बेहया है तोहमत लगाने से बाज आती नहीं। ©Azhar Waquar बरसने से पाप धुलती नहीं है #melting