दाग़ उलफ़त के माथे पर दाग़ बेशुमार हैं... किसको नींद आती हैं किसको क़रार हैं..। कोई सिने में घर बसाना चाहता हैं... और दिल में आयी दरार ही दरार हैं..। मौत अाके बार-बार डरा गयी मुझको... यहां तो हमारे सिर पे कफ़न सवार हैं..। वो मेरा नसीब सँवारना चाहता हैं... एक तरफ़ ख़िज़ां हैं,एक तरफ़ बहार हैं..। दाग़