पिंजरे में कैद उस पंछी को देख ये ख्याल आया, की हूँ तो मै भी एक आज़ाद पंछी पर फिर भी मजबूर हूँ अपनो से, आज़ाद सी इस ज़िन्दगी में कैद कर लिया है खुद को अपनो के लिए. जो ना होती मजबूर तो ना होते ये पिंजरे और ना ये कैद.. क्या करे हमारे पंख तो हमारे खुद अपनो ने ही काट डाले.. कभी कभी लगता है हम चारदीवारी में क़ैद हैं। #चारदीवारी #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi #सुचितापाण्डेय #suchitapandey