उनसे एक बार मिलना हो जाये तो सब हो जाये जो बताना है वो कहना हो जाये तो सब हो जाये जिस तरह से ये पलो की सदिया गुजार रहे है एक बार अब मरना हो जाये तो सब हो जाये बादल सोचकर दौड़े थे ये जवानी धुँआ निकली फिर एक बार बचपना हो जाये तो सब हो जाये आधी रात को सिर्फ खाना गर्म करने जागती थी माँ उस जैसा कोई मेरा दीवाना हो जाये तो सब हो जाये महफ़िल में मन भी नही है शाम भी गुजारनी है कहीँ थोड़ा सा वीराना हो जाये तो सब हो जाये तरस रही है बूंद-बूंद पानी को खेत में धान की फसल अब बादलों का आना जाना हो जाये तो सब हो जाये जनाजे का आखरी शख्श देर तक रोता रहे सूरज जिंदगी में इतना कमाना हो जाये तो सब हो जाये #badal #dhua #mahfil