#OpenPoetry निसार कर दूँ सब दिल और जान यारों पर! मेरा जो कुछ है वो सब हो कुर्बान यारों पर! ज़िंदगी यारों से है यार सारे हैं ज़िन्दगी मेरी! कि लूटा दूँगा मैं अपने दोनों ज़हान यारों पर! दुनियादारी छोड़ देते हैं,निभाने को यारी! मुझ को आता है बड़ा ही गुमान यारों पर! होने से जिनके ज़िंदगी सी लगे ज़िन्दगी! या ख़ुदा सदा रहना मेहरबान यारों पर! काँटों के पल्ले कोई आए न कभी ऐ ख़ुदा! गुल बरसाता रहे ये आसमान यारों पर! निसार कर दूँ सब दिल और जान यारों पर! मेरा जो कुछ है वो सब हो कुर्बान यारों पर! ज़िंदगी यारों से है यार सारे हैं ज़िन्दगी मेरी! कि लूटा दूँगा मैं अपने दोनों ज़हान यारों पर! दुनियादारी छोड़ देते हैं,निभाने को यारी! मुझ को आता है बड़ा ही गुमान यारों पर!