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तुम्हें आज में क्या बाँधू? पूरी सृष्टि तुम्हारी है

तुम्हें आज में क्या बाँधू? पूरी सृष्टि तुम्हारी है।
बावजूद इसके मेरे पास बधाई के शब्द नहीं।
आज महालया के दिन हम अंतराष्ट्रीय बेटी दिवस
मना तो रहे हैं, लेकिन ज़मीन का एक टुकड़ा नहीं
जहाँ तुम सुरक्षित श्वास लो। तो बेटी होने की बधाई
से अधिक वह लड़ाई तुम्हें सौंपती हूँ, जिसे
मैंने भी लड़ी। जानती हूँ विजेता का ताज तुम्हें भी
शायद नहीं मिले, क्योंकि ये लड़ाई विश्व जीतने
की नहीं, अधिकार जीतने और स्वाभिमान
कायम रखने की है। लेकिन जिस स्वतंत्रता
का क़तरा मैं तुम्हें दे पाई, उसका एक दरिया
बना कर तुम अपनी अगली पीढ़ी की बेटियों
को सौंपना, अगली पीढ़ी के बेटों को कुछ
अधिक इंसान बना पाना। ताकि आदिशक्ति का रूप
मानी जानी वाली बेटियों को इंसान की तरह खुश
और आबाद रहने केलिए आंदोलन न करना पड़े।
देवी को नेत्र खोलने केलिए किसी बेटी के
बलिदान की जरूरत न पड़े। 
✍ रागिनी प्रीत

©Ragini Preet
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