कहीं आँखें हैं लबालब कहीं प्यास गहरी हुई है कहीं शाम हुई है रूआँसी कहीं सुबह जग रही है ना रोकने की ज़िद है ना टोकने की है आदत ना रोश्नी की तलब है ना अँधेरों से है शिकायत सीधे रास्तों पर चलकर हैरान भी हुआ हूँ सच का साथ देकर परेशान भी हुआ हूँ... © abhishek trehan #आँखें #प्यास #गहरी #रात #yqdidi #yqastheticthoughts #yqrestzone #manawoawaratha