ज्यादा शुद्ध हिंदी भी दिमाग के पेज पुर्जे हिला देती है। भाषा तो ऐसी हो जिसमें मजाकिया अंदाज हो सरलता का साज हो। ज्यादा तहजीब दिखावा लगती है। ज्यादा सजना संवारना भी फूहड़ता लगता है। सादगी ही आंखों को जचती है। ज्यादा मीठा भी गले में खराश कर देता है। ज्यादा मीठे बोलने वाले लोग भी बर्दाश्त नहीं होते। सटीक सरल भाव से बोलने वाले व्यक्ति सच्चे और साधे लगते हैं पूरा कैप्शन में पढ़ें, जाने क्यों कम तो मुझसे लिखा ही नहीं जाता। "ज्यादा शुद्ध हिंदी भी दिमाग के पेज पुर्जे हिला देती है। भाषा तो ऐसी हो जिसमें मजाकिया अंदाज हो सरलता का साज हो। ज्यादा तहजीब दिखावा लगती है।