तुम पर मेरा ये हक़ नाहक़ तो नहीं है हमको प्यार की इजाजत क्यों नही है तेरे चेहरे पर आई है जो शर्म-ओ-हया दिल में किसी और की चाहत तो नहीं है हक़ चाहिए हमको बस तेरे दीदार का जीने के लिए सहारा मिले तेरे प्यार का और क्या माँगू अपने खुदा से तेरे सिवा तू ही एक सबब मेरे इस इंतज़ार का मेरे दिल को दुनिया में अब क़नाअत नहीं है जो तेरे गम पर भी मेरा हक साबित नही है अश्क़ जो ठहरा मिज़्गान पर आकर अब तेरी यादों को बहने की इजाजत नहीं है ♥️ Challenge-720 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।