खुद से हीं अनजान मै जानें कहाँ जा रहीं हूँ चल तो रास्तों पर रहीं हूँ पर भूलभुलैया में फँसती जा रहीं हूँ मै पंख तो मुझें भी मिलें थे खुलें आसमान की सैर को पर उन पंखो के बोझ तलें ही दबी जा रही हूँ मै हाँ मै नारी हूँ कभी पूजी भी जाती हूँ पर ये कभी-कभी होता है रोज बाजारों में नोंची जा रही हूँ मै । #मै #women #zid #respect #navratrispecial #nojotohindi