खंज़र मार दे पीछे से, ऐसा उसका अंदाज़ नहीं, नाराज़ ज़रा होगा हमसे, पर यार मेरा दगाबाज़ नहीं। हमसे छिपाया हो उसने, लगता ऐसा कोई राज़ नही, नाराज़ ज़रा होगा हमसे, पर यार मेरा दगाबाज़ नहीं।। मैं कांटा और वो गुलाब था मेरा, हम ऐसे साथ में रहते थे, में चुभता था उनको बोहोत, एक लफ्ज़ फिर भी ना वो कहते थे। ऐसी दिवानगी पर उनकी, होगा मुझे क्यूं नाज़ नहीं, नाराज़ ज़रा होगा हमसे, पर यार मेरा दगाबाज़ नहीं।। चला गया है वो छोड़ मुझे, कुछ उसकी मजबूरी होगी, मेरा ही भला होगा उसमें, तभी मंज़ूर उसे ये दूरी होगी। चाल शतरंज की चलने वाला, होता हमेशा चालबाज़ नहीं, नाराज़ ज़रा होगा हमसे, पर यार मेरा दगाबाज़ नहीं।। #shaayavita #yaar #pyaar #nojoto #vishwaas #faith