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"बरगद का पेड़ और पीपल की छांव ही गांव की पुरानी य

 "बरगद का पेड़ और पीपल की छांव ही गांव की पुरानी यादों को लेकर आज भी खड़े हैं
 शाखाओं पर इनकी बैठे हुए मोर 
आज भी दिखाई दे जाते हैं, मंदिर यथावत है मगर पहले वाले भक्तजन नहीं रहे
 गांव में पहले वाली चौपाल भी नहीं रही भौतिकता में सब सिमट चुके हैं 
मेरे गांव का पलायन रुकना चाहिए 
फिर नदी बहनी चाहिए, फिर लगे चौपाल





 फिर मिले वही गांव का प्यार 
कितना अच्छा हो काश! 
गांव के पुराने वो दिन फिर लौट आए।

©Azaad Pooran Singh Rajawat
  #काश ! गांव के पुराने वो दिन फिर लौट आए #

#काश ! गांव के पुराने वो दिन फिर लौट आए # #कविता

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