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ये झुलसता हुआ है शहर कैसे ढूंढोगे तुम अपना घर ।

ये झुलसता हुआ है शहर 
कैसे ढूंढोगे तुम अपना घर ।

आसमाँ तक का सफर था 
साथ बस चंद कटे पर ।

बहुत थक चुका हूं मैं 'मस्ताना
रुक जाऊँ किसी मोड़ पर शहर
राज मस्ताना 
राजू थापा
ये झुलसता हुआ है शहर 
कैसे ढूंढोगे तुम अपना घर ।

आसमाँ तक का सफर था 
साथ बस चंद कटे पर ।

बहुत थक चुका हूं मैं 'मस्ताना
रुक जाऊँ किसी मोड़ पर शहर
राज मस्ताना 
राजू थापा

शहर राज मस्ताना राजू थापा