ये झुलसता हुआ है शहर कैसे ढूंढोगे तुम अपना घर । आसमाँ तक का सफर था साथ बस चंद कटे पर । बहुत थक चुका हूं मैं 'मस्ताना रुक जाऊँ किसी मोड़ पर शहर राज मस्ताना राजू थापा