#OpenPoetry बदलते लोगों के सुर से , अब मुझे ताल मिलाना है, बिगडते मौसम के तूफानों में, चट्टान की तरह डट जाना है, आफताब की रोशनी से , अब उसकी तपीस चुराना है, पतझड़ मे जो न मुरझाए , वह वृक्ष बन जाना हें, मेहनत करके फल मेहनत का, खुद से ही अब पाना हे, बदलते लोगों के सुर से......., अब मुझे ताल मिलाना है ....... , अपनी जीत का परचम ऊँचा , सबसे लहराना हे, छुप कर ;डर कर नहीं बैठना, बस अब तो लड़ जाना हे, जिन्दा हूँ मैं आज मे, और बेहतर आज बनाना हे, बदलते लोगों के सुर से, अब मुझे ताल मिलाना है।