#OpenPoetry बदलते लोगों के सुर से ,

#OpenPoetry बदलते लोगों के सुर से ,                                                अब मुझे ताल  मिलाना है,                                       बिगडते मौसम के तूफानों में,                                     चट्टान की तरह डट जाना है,                                 आफताब की रोशनी से ,                                                अब उसकी तपीस चुराना है,                                     पतझड़ मे जो न मुरझाए ,                                              वह वृक्ष बन जाना हें,                                               मेहनत करके फल मेहनत का,                                     खुद से ही अब पाना हे,                                             बदलते लोगों के सुर से.......,                                         अब मुझे ताल मिलाना है ....... ,                                 अपनी जीत का परचम ऊँचा ,                                    सबसे लहराना हे,                                                         छुप कर ;डर कर नहीं बैठना,                                        बस अब तो लड़ जाना हे,                                           जिन्दा  हूँ मैं आज मे,                                           और बेहतर आज बनाना हे,                                            बदलते लोगों के सुर से,                                                 अब मुझे ताल मिलाना है।
#OpenPoetry बदलते लोगों के सुर से ,                                                अब मुझे ताल  मिलाना है,                                       बिगडते मौसम के तूफानों में,                                     चट्टान की तरह डट जाना है,                                 आफताब की रोशनी से ,                                                अब उसकी तपीस चुराना है,                                     पतझड़ मे जो न मुरझाए ,                                              वह वृक्ष बन जाना हें,                                               मेहनत करके फल मेहनत का,                                     खुद से ही अब पाना हे,                                             बदलते लोगों के सुर से.......,                                         अब मुझे ताल मिलाना है ....... ,                                 अपनी जीत का परचम ऊँचा ,                                    सबसे लहराना हे,                                                         छुप कर ;डर कर नहीं बैठना,                                        बस अब तो लड़ जाना हे,                                           जिन्दा  हूँ मैं आज मे,                                           और बेहतर आज बनाना हे,                                            बदलते लोगों के सुर से,                                                 अब मुझे ताल मिलाना है।
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Aafiya 303

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