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विवाह में विलम्ब के कारण विवाह का तय होना पंचम भाव

विवाह में विलम्ब के
कारण
विवाह का तय होना पंचम भाव से देखा जाता है। विवाह तय होकर टूटने का कारण
पंचम भाव पर पाप ग्रहों का प्रभाव होता है।
मंगल, सूर्य, राहु और केतु का प्रभाव होने से विवाह तय होकर टूट सकता है।
शनि का प्रभाव होने विवाह तय होने में देरी होती है जैसे वह कार्य टलता जाता है
और कोई भी कारण हो सकता है।
पंचमेश भी पाप प्रभाव जैसे पाप ग्रहों से युत या दृष्ट हो तो भी विवाह तय
होकर टूट सकता है।
सप्तम भाव जीवनसाथी का भाव भी होता है तो तय होने के बाद विवाह की बात
होती है तो उस पर भी विचार किया जाता है।
सप्तम भाव में शनि होने से देरी नही किंतु दृष्टि देरी दे सकती है। सप्तम भाव में बैठे
ग्रह भी विवाह के लिए जिम्मेदार होते है।
विवाह के लिए मिलने वाली दशा अंतर्दशा भी महत्वपूर्ण और सप्तम भाव में बैठे
ग्रह की दशा अंतर्दशा और गुरु और शुक्र को विवाह करवाने के कारक होते है उनकी
दशा अंतर्दशा में भी विवाह हो जाते है।
यदि पुरुष जातक में शुक्र और स्त्री जातक में शुक्र यदि बहुत पीड़ित है। यदि
पाप प्रभाव दृष्टि या युति से और पापकर्तरी, में होने पर भी विवाह में विलम्ब
होता है। ★ नवमांश का लगन यदि लगन चार्ट के 6,8,12 भाव से बना हो तो भी
विवाह होने समस्या आती है।

©KhaultiSyahi
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