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आए थे जब तुम मेरे शहर परदेसी बनकर, मिले थे फिर हम

आए थे जब तुम मेरे शहर परदेसी बनकर,
मिले थे फिर हम तुम अजनबी बनकर,

फिर शुरू वहाँ से कहानी हुई थी,
मैं राजा तुम्हारा तुम मेरी रानी हुई थी,

रोका बहुत था मुझे मेरे अपनो ने,
परदेसी कब ठहरे है हमारे सपनो में,

मुझे पर कहा कुछ समझ आ रहा था,
मैं तो बस तुम्हारा दीवाना हुआ था,

एक रोज तुम जो चली गई मुझे छोड़ कर, 
तब मैं समझा सही कहते थे सब,

भूला दी थी तुमने सब मोहब्बत की रस्मे, 
फिर एक बार अजनबी हो गए थे जो कल थे अपने। ♥️ Challenge-925 #collabwithकोराकाग़ज़

♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊

♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा।

♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।
आए थे जब तुम मेरे शहर परदेसी बनकर,
मिले थे फिर हम तुम अजनबी बनकर,

फिर शुरू वहाँ से कहानी हुई थी,
मैं राजा तुम्हारा तुम मेरी रानी हुई थी,

रोका बहुत था मुझे मेरे अपनो ने,
परदेसी कब ठहरे है हमारे सपनो में,

मुझे पर कहा कुछ समझ आ रहा था,
मैं तो बस तुम्हारा दीवाना हुआ था,

एक रोज तुम जो चली गई मुझे छोड़ कर, 
तब मैं समझा सही कहते थे सब,

भूला दी थी तुमने सब मोहब्बत की रस्मे, 
फिर एक बार अजनबी हो गए थे जो कल थे अपने। ♥️ Challenge-925 #collabwithकोराकाग़ज़

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manjusharma7790

Manju Sharma

New Creator