एक दिन यूँ ही झाँक बैठा खुद में कि मुझमें मौजूद, मुझ से अनजान .. हर पल चीख़ता, वो सन्नाटा क्या है। नज़दीकियों जैसी दूरियाँ ओढ़े हुए, सांसों के शोर और ख़ामोशी में दहाड़ता.. पारदर्शी परछाई सा, वो शख़्श क्या है। मुक्कमल ख़्वाबों की कुछ अधूरी तमन्ना से उलझा, हाथों की लकीरों से ग़ायब, झूठी हँसी में छिपा हुआ ... पूर्णिमा की रात सा रोशन, वो अधूरा सा ख़्वाब क्या है । #sonusuman #nojoto #Love #Kiddo