मेरी रचनाएँ मैं जो भी लिखता हूँ, सच ही लिखता हूँ, गलत नहीं लिखता, वास्तविकता पर लिखता हूँ । मुझे पराया मत समझना मेरे दोस्तों - शुभचिंतकों, मैं जो भी लिखता हूँ, आपके लिए ही लिखता हूँ । मैं तो लिखता हूँ वही, जो संसार में घटित होता है, व्यक्त करता हूँ अपने विचार, जब मन लिखने का होता है । मेरी कलम मेरे शब्दों को जब भी बयाँ करती है, दूरदर्शी सोच होती है मेरी, समाज का ख्याल भी रहता है । मैं तो लिखता हूँ इसलिए, ताकी लोगों तक पहुंच सकूँ, अपने शब्दों की दिव्यता से, लोगों के दिल को छू सकूँ । और चाहता हूँ मैं, सभी लोगों की राय और परामर्श, ताकी अपनी रचनाओं को, लोगों के हिसाब से लिख सकूँ । जब मेरी रचनाएँ, आपके लिए उपयोगी होंगी, आपकी जिज्ञासा भी तब, उनको पढ़ने की होगी । मेरा मन बहुत ही प्रसन्नचित्त होगा, जब मेरी अन्य रचनाएँ जल्द ही, आपके सम्मुख होंगी । - Devendra Kumar (देवेंद्र कुमार) # मेरी रचनाएँ