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मेरी रचनाएँ मैं जो भी लिखता हूँ, सच ही लिखता हूँ,

मेरी रचनाएँ

मैं जो भी लिखता हूँ, सच ही लिखता हूँ, 
गलत नहीं लिखता, वास्तविकता पर लिखता हूँ ।
मुझे पराया मत समझना मेरे दोस्तों - शुभचिंतकों, 
मैं जो भी लिखता हूँ, आपके लिए ही लिखता हूँ ।

मैं तो लिखता हूँ वही, जो संसार में घटित होता है, 
व्यक्त करता हूँ अपने विचार, जब मन लिखने का होता है ।
मेरी कलम मेरे शब्दों को जब भी बयाँ करती है, 
दूरदर्शी सोच होती है मेरी, समाज का ख्याल भी रहता है ।

मैं तो लिखता हूँ इसलिए, ताकी लोगों तक पहुंच सकूँ, 
अपने शब्दों की दिव्यता से, लोगों के दिल को छू सकूँ ।
और चाहता हूँ मैं, सभी लोगों की राय और परामर्श, 
ताकी अपनी रचनाओं को, लोगों के हिसाब से लिख सकूँ ।

जब मेरी रचनाएँ, आपके लिए उपयोगी होंगी, 
आपकी जिज्ञासा भी तब, उनको पढ़ने की होगी ।
मेरा मन बहुत ही प्रसन्नचित्त होगा, 
जब मेरी अन्य रचनाएँ जल्द ही, आपके सम्मुख होंगी ।

- Devendra Kumar (देवेंद्र कुमार) # मेरी रचनाएँ
मेरी रचनाएँ

मैं जो भी लिखता हूँ, सच ही लिखता हूँ, 
गलत नहीं लिखता, वास्तविकता पर लिखता हूँ ।
मुझे पराया मत समझना मेरे दोस्तों - शुभचिंतकों, 
मैं जो भी लिखता हूँ, आपके लिए ही लिखता हूँ ।

मैं तो लिखता हूँ वही, जो संसार में घटित होता है, 
व्यक्त करता हूँ अपने विचार, जब मन लिखने का होता है ।
मेरी कलम मेरे शब्दों को जब भी बयाँ करती है, 
दूरदर्शी सोच होती है मेरी, समाज का ख्याल भी रहता है ।

मैं तो लिखता हूँ इसलिए, ताकी लोगों तक पहुंच सकूँ, 
अपने शब्दों की दिव्यता से, लोगों के दिल को छू सकूँ ।
और चाहता हूँ मैं, सभी लोगों की राय और परामर्श, 
ताकी अपनी रचनाओं को, लोगों के हिसाब से लिख सकूँ ।

जब मेरी रचनाएँ, आपके लिए उपयोगी होंगी, 
आपकी जिज्ञासा भी तब, उनको पढ़ने की होगी ।
मेरा मन बहुत ही प्रसन्नचित्त होगा, 
जब मेरी अन्य रचनाएँ जल्द ही, आपके सम्मुख होंगी ।

- Devendra Kumar (देवेंद्र कुमार) # मेरी रचनाएँ