कर दिया खुद को समंदर के हवाले हमने, तब कहीं गोहर-ए-नायाब निकाले हम ने| जिंदगी नाम है चलने का तो चलते ही रहे रुक के देखे ना कभी पांव के छाले हमने| जब से हम हो गए दरवेश तेरे कूचे के.. तब से तोड़े नहीं सोने के निवाले हमने| तेरी चाहत सी नहीं देखी किसी की चाहत में वैसे देखे हैं बहुत चाहने वाले हमने| हमसफर तू जो रहा हम भी उजाले में रहै.. फिर तेरे बाद कहां देखे उजाले हमने| एक भी शेर गुहर बनके न चमका नवाब कितने दरियाई ख्यालात खंगाले हमने नवाब खान #नवाब