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उडती पतंगो से ही तो अपने अरमान है। जरा सी ढील मिलत

उडती पतंगो से ही तो अपने अरमान है।
जरा सी ढील मिलते ही छूते आसमान है।
सहेजने से ही बढती है मोहब्बतों की ये डोर।
उन्मुक्त सी डोर ही तेरी-मेरी पहचान है।

©सुधा भारद्वाज #together #साथ_साथ
उडती पतंगो से ही तो अपने अरमान है।
जरा सी ढील मिलते ही छूते आसमान है।
सहेजने से ही बढती है मोहब्बतों की ये डोर।
उन्मुक्त सी डोर ही तेरी-मेरी पहचान है।

©सुधा भारद्वाज #together #साथ_साथ